क्या तुम्हें पता है?Jul 10, 20201 min readटूटते तारे टूट कर कहां जाते होंगे?धूप रात में कहां सोती होगी?क्या पंछियों को भी घर याद आती होगी?नदी बेहकर समंदर से मिलती है;समंदर किससे मिलता होगा?क्या तुम्हें पता है?पेड़ों की जड़ें इतनी कस केज़मीन से क्यों लिपटती हैं?क्या उन्हें भी किसी के साथहोने का एहसास होता होगा?क्या इसलिए हम अपनी यादों कोकस कर पकड़े बैठे हैं?की एक दिन उनपर भी फूल खिल आए?क्या तुंम्हे पता है?पेड़ों पर आशिक़ अपना नाम क्यों लिख जाते हैं?जब संग जीने मरने कीकसमें खो जाती होंगी;तो कहां जाकर सिसकियां लेते होंगे?क्या तुम्हें पता है?उन पेड़ों पर,कविताएं खिलती हैं!
टूटते तारे टूट कर कहां जाते होंगे?धूप रात में कहां सोती होगी?क्या पंछियों को भी घर याद आती होगी?नदी बेहकर समंदर से मिलती है;समंदर किससे मिलता होगा?क्या तुम्हें पता है?पेड़ों की जड़ें इतनी कस केज़मीन से क्यों लिपटती हैं?क्या उन्हें भी किसी के साथहोने का एहसास होता होगा?क्या इसलिए हम अपनी यादों कोकस कर पकड़े बैठे हैं?की एक दिन उनपर भी फूल खिल आए?क्या तुंम्हे पता है?पेड़ों पर आशिक़ अपना नाम क्यों लिख जाते हैं?जब संग जीने मरने कीकसमें खो जाती होंगी;तो कहां जाकर सिसकियां लेते होंगे?क्या तुम्हें पता है?उन पेड़ों पर,कविताएं खिलती हैं!
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